बुने किस्मत ने जो जाले,उन्हीं जालों में उलझा हूँ कहूँ अब किस तरह तेरे, ख्यालों में ही उलझा हूँ कभी ख... बुने किस्मत ने जो जाले,उन्हीं जालों में उलझा हूँ कहूँ अब किस तरह तेरे, ख्यालों म...
इश्क़ दर्द और मेरी शायरी ''कवि अपर्णेय'' इश्क़ दर्द और मेरी शायरी ''कवि अपर्णेय''
तन्हा हूँ, गुमनाम सा, हैं खाली खाली हाथ, है परेशान "रवि" बहुत, कोई नहीं है साथ। तन्हा हूँ, गुमनाम सा, हैं खाली खाली हाथ, है परेशान "रवि" बहुत, कोई नहीं है सा...